तीसरा व्याख्यान, भाग-1....
(दि. 14 अक्टूबर, 1951)
— थ्रे सिदु सयाजी ऊ बा खिन
(रंगून के पगोडा रोड स्थित मेथोडिस ्ट गि रजाघर म ें धर ्म जि ज्ञासओु ंकी एक सभा में बर्मा सरकार के महालेखापाल (अकाउंटेंट जनरल) कम्मट्ठानाचार्य थ्रे सिदु बा खि न ने तीन व्या ख्या न दिय े, जि नका अनु. यहां क्रमशः प्रकाशि त कर रहे हैं।)
— (अनु.: स. ना. गोयन्का )
देव ियो और सज्जनो!
जब तक मैं ‘‘प्रतीत्य समुत्पाद ’’ (सकारण उत्पत् ति) और ‘पट्ठान’ (कार्य-कारण संबंध) के नि यमों पर थोड़ा भी प्रकाश न डाल लं,ू तब तक ‘‘क्या ह ै बुद्ध-शि क्षा’’ विषय पर मेरा वक्तव्य पूरा नहीं माना जायगा।