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Ghar Ghar Men Pali - घर-घर में पालि PDF

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घर-घर में पालि
२५ शताब्दी पूर्व पालि उत्तर भारत की लोक भाषा थी। इसी भाषा में भगवान बुद्ध
ने अपने उपदेश दिये। तिपिटक में बुद्ध के उपदेश संगृहीत हैं जो पालि भाषा में है।
दुर्भाग्यवश पालि की पुस्तकें (तिपिटक के ग्रंथ) और विपश्यना विद्या इन २५०० वर्षों में भारत से लुप्त हो गयी। लोगो को इस प्राचीन धरोहर से परिचित कराने के लिए विपश्यना विशोधन विन्यास ने १९८० से पालि पढ़ाना प्रारंभ किया। इस दिशा में विपश्यना विशोधन विन्यास द्वारा लिया गया यह एक और कदम इस उद्देश्य से लिया गया है ताकि घर-घर में पालि भाषा पहुँचे और हर व्यक्ति बुद्ध की इस महान विरासत से लाभान्वित हो सके ।
इस पुस्तक में पालि भाषा के बारे में, तिपिटक के बारे में जिसमें बुद्ध की शिक्षा का सार सन्निहित है तथा इन २५०० वर्षों में इस पैतृक संपत्ति को भारत तथा विदेशो मे कैसे सुरक्षित रखा गया– इन सब के बारे में छोटी-सी भूमिका है। विपश्यना विशोधन विन्यास द्वारा संचालित पालि पाठ्यक्रमो का विस्तृत वर्णन तथा इनमें भाग लेने वाले कुछ चुने हुए साधक विद्यार्थियो के अनुभव वर्णित हैं।
विपश्यी साधको तथा जो साधक नहीं भी हैं उन जिज्ञासुओ के लिए यह एक आदर्श पुस्तक है।

SKU:
H106-pf
ISBN No: 
978-81-7414-434-8
Publ. Year: 
2020
Author: 
Vipassana Research Institute
Language: 
Hindi
Book Type: 
PDF
Pages: 
100