Mahakacchan * महाकच्चान- भगवान बुद्ध के अग्रश्रावक (Hindi Paperback Book)
Mahakacchan * महाकच्चान- भगवान बुद्ध के अग्रश्रावक
महाकच्चान
विपश्यना विशोधन विन्यास द्वारा बुद्ध के अग्रश्रावकों की शृंखला में प्रकाशित इस पुस्तक का उद्देश्य पुराने साधकों को गंभीरतापूर्वक साधना करने तथा नये साधकों को इसी मार्ग पर चलने और आदर्श विपश्यी साधक बनने की प्रेरणा देना है।
भगवान के अस्सी महाश्रावकों में स्थविर महाकाश्यप और आयुष्मान आनंद की तरह स्थविर महाकच्चान भी भगवान के प्रमुख महाश्रावकों में थे। अपने पूर्वजन्मों के पुण्य कर्मों के फलस्वरूप वे एक राजपुरोहित कुल में जनमें। कच्चान गोत्र में पैदा होने के कारण ये लोक में कच्चान नाम से विख्यात हुए।
भगवान और भिक्षुओं की दृष्टि में जो संघ को उनका सबसे महत्त्वपूर्ण योगदान था, वह था संक्षिप्त कथनों की विस्तृत व्याख्या। भगवान के संक्षिप्त कथनों को लेकर प्रायः भिक्षु उनके पास आते और स्थविर महाकच्चान उनकी विस्तृत व्याख्या करते। धर्म-अधर्म और अर्थ-अनर्थ, धातुनानात्व, भद्देकरत्त के उद्देश्य और विभंग, इंद्रिय-विषय और उनके विज्ञान के स्पर्श से बचने के उपाय के संबंध में दिये गये भगवान के संक्षिप्त उपदेश को उन्होंने बहुत अच्छी तरह से विस्तृत रूप में समझाया। उनके इस गुण के कारण भगवान उन्हें पंडित और महाप्रज्ञ कहते थे। एक बार मधुपिंडिकसुत्त, पेय्यालसुत्त और पारायणसुत्त की व्याख्या करने पर भगवान ने स्थविर महाकच्चान को संक्षिप्त कहे का विस्तार से अर्थ करने वालों में अग्र की उपाधि दी।
विपश्यी साधकों तथा जो साधक नहीं भी हैं उन दोनों के लिये यह एक आदर्श पुस्तक है।